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Showing posts from September, 2018

एक कदम सफलता की ओर

अनकही अनसुनी सी जिंदगी

ये जो बचपन और बड़े होने के बीच का समय होती है न बड़ा कमाल की होती है, हम बचपन से तो थोड़े ऊपर उठ चुके होते है लेकिन बड़ो जैसी समझदारी हममे नही आयी होती है और हमे इस समय ऐसा लगता है कि हम जो क्र रहे है न पूरी समझदारी से कर रहे है, और ये समय ऐसी होती है कि बहोत सी अच्छी और बुरी चीजे हमे अपनी ओर खींचती हे, और हमे लगता है कि हम उन सभी चीजों को पाले तो सब कुछ मिल जायेगा लेकिन ऐसा नही है हमे बहोत आगे जानी होती है, जिंदगी के बहोत से सफर देखनी होती है, तभी तो हम कोई सही फैसला ले पाते है। अच्छा एक बात बताओ आज से आठ या दस साल के बाद जब आप सही मायने में सेटल होने लायक हो जाओगे तब उस समय पर कौन सी ऐसे चीजे या कौन से ऐसे लोग होंगे जो तुम्हारे साथ उस समय पर भी होंगे बता सकते हो ? आई थिंक नही या पता नही। तो सायद ठीक कहा आपने पता नही ये स्कूल तुम्हारे साथ नही होगा ये मौज मस्ती ये बे फ़िक्री ये नही होंगी प्रिंसीपल सर नही होंगे और आपके कुछ दोस्त नही होंगे और सायद अम्मी अब्बू भी न हो .... हैरान मत होइए ..... इसी का नाम जिंदगी है आगे बढ़ते रहना आप सब अच्छे लड़के हो जितनो ने कमेंट किया सभी अच्छे हो और भी यह...

जिंदगी में शालीनता

अगर सामने वाला गलत है तो क्या हमें भी गलत होना चाहिए गलत के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए ये बहोत जरूरी है । लेकिन इसका मतलब ये नही हुआ की गलत के खिलाफ लड़ते लड़ते खुद गलत बन जाओ । दो गलत मिलकर कभी सही नही बन सकते गलत तो सिर्फ गलत होती है और कुछ भी नही । पता है एक इंसान हाथ कब उठता है जब वो सोचता है कि अब हम हार गए । मैं ये नही कह रही हु की तुम कुछ न करो लेकिन करना है तो कायदे से करो । गांधी जी ने एक बात बहोत अच्छी कही थी आई एंड आई टू व्होल वर्ल्ड ब्लाइंड यानी आँख के बदले आँख पूरी दुनिया को अँधा क्र देगी । जिस रास्ते पर बड़ी बड़ी गाड़ियां चलती है उसी रास्ते पर हम भी चलते है जिसका जहाँ मोड़ आता है वो वहां से मुड़ जाता है, रस्ते में पड़े पड़ाव को लेकर कोई रुक नही जाता कोई थमता नही है, ये दुनिया ऐसी ही है बस आप हिम्मत न हारे और अपना हर काम अच्छाई और सच्चाई से करे।

शिकायते जिंदगी से

जिंदगी एक रस्ते की तरह है, एक राह की तरह है। कभी सीधी स्पॉट कभी उबड़ खाबड़ कभी धुल मिटटी से भरी हुई और कभी छांवदार दरख़्त के सामने से गुजरती हुई । इसी तरह   इसमें कोई बेकार नही होता सब काम के होते है बस हमारी सोच हमे कमजोर कर देती है लेकिन सबको इसी राह से गुजरना होता है, हाँ ये बात अलग है किसी को राह में कंकड़ पत्थर ज्यादा मिल जाते है किसी को कम लेकिन मंजिल तक पहुचने के लिए सबको इसी राह से गुजरना होता है।