आज अचानक तुम्हारी यादों ने फिर खटखटाया है मेरे मन के दरवाजें को । एक अजनबी चेहरे को देखा तो तुम्हारे ख्यालों के चलचित्र, मेरे मन के आईने में उभरने लगे । वैसे तो मै तुम्हे याद नही करती क्योंकि तुम्हे याद करने की कोई खास वजह ना थी । फिर भी कभी कभी तुम्हारे ख्यालों के ताने बाने बुन हीं लेती हूं जब भी तन्हा और उदास होती हूं । तुम ये मत समझना कि मुझे अब भी तुम्हारी जरूरत है । नही , अब मै, खुद की तलाश में इतनी व्यस्त हूं कि किसी और की कमी खलती हीं नही है । ये समझने की भूल मत करना की मै अकेली हूं । मेरी तरह ये शाम भी जाने क्यूँ तन्हा है । शायद इसे भी किसी अपने के खोने का गम है । वैसे हम दोनो की खूब जमती है । मै आँखे बंद करके अक्सर महसूस करती हूं ढलते सांझ की उदासी और कुछ हाल-ए-दिल बयां करती हूं अपने तनहाइयों के । इस मुस्कुराते चेहरे के पीछे ना जाने दर्द के कितने सिलवटें है । आंखो की चमक पहले जैसी हीं है बस कभी कभी खामोश रात के तिमिर में बदलते करवटों के बेबसी, अपने कुछ छींटों के निशां तकिए के ऊपरी परत पर छोड़ हीं जाते है । ...
हारना मंजूर है मुझे पर खेल तो बड़ा ही खेलूंगा जिंदगी में एक बात तो तय है , की "तय " कुछ भी नहीं !! ------------------------------------ वीरानियाँ मौसम से नहीं ............. एहसास से होती है .....!! ज़िन्दगी की फिलोसोफी‘कभीं है कड़ी धूप तो कभी है छांव, यारों यूहीं चलती हैं, हमारे जिंदगी की नांव…‘ आइए जिंदगी की फिलोसॉफी समझते हुए सुनते है कुछ ऐसे थॉट , विचार जो हमारे जीवन को देंगे नई दिशा। खामोस की तह में छुपा लो सारी उलझने, शोर कभी मुश्किलों को आसान नहीं करता