आखिर हम जी क्यों रहे है ? पृथ्वी पर हम क्यों आए है ?
कभी आप 80 साल के बुजुर्ग को ध्यान से देखिये सारी उम्र उन्होंने जीवन के बहोत से पड़ाव पार किये होते है , बचपन, जवानी, करियर, शादी, बच्चे, फिर बच्चो की शादी मुझे तो आज तक ऐसा कोई बुजुर्ग नहीं दिखाई दिया जो अपने जीवन से संतुष्ट हो या किसी को ये कहते नहीं सुना की जीवन जी कर मजा आगया कितना खूबसूरत था जीवन। इतनी उम्र बीतने के बाद भी उनके मन की कोई न कोई इच्छा बची ही रहती है।
मेरे पहचान के एक बुजुर्ग है अभी भी उनका आखरी सपना बचा ही है की मेरे इस पोते की बेटे की शादी देख लू फिर ईश्वर मुझे उठा ले मुझे कोई गम नहीं।
आखिर हम किन चीजों में खुशियां और जीवन ढूंढ रहे है ? क्या आपको लगता है की सभी इच्छाएं कभी ख़त्म होंगी ? ऐसा कभी नहीं होने वाला अमेरिका के 20वें सबसे अमीर व्यक्ति की मौत से पहले एक रिपोर्टर ने पूछा की सर आपने इतना कुछ हासिल किया है मुझे लगता है आपके सारे सपने , सारी इच्छाएं पूरी हो गयी होंगी ?
व्यक्ति ने गुस्से में कहा तुम्हारा दिमाग सही है ? मुझे अमेरिका के सबसे पहले नंबर का व्यक्ति बनना था लेकिन मै अभी बहोत पीछे हु, इतनी दौलत की कमी है और तुम कितना बेहूदा सवाल पूछ रहे हो बेशक आपके लिए दौलत इम्पोर्टेन्ट है लेकिन एक बात याद रखना जितनी दौलत बढ़ती है इच्छा भी उतनी बढ़ती जाती है हमारे भारत के एक अमीर बिजनेसमैन है मैंने सुना है उनके एक टीशर्ट की कीमत तीन से चार लाख तक होती है और एक बार पहनने के बाद वो उसे दोबारा नहीं पहनते , अब हम किसी को जज करने वाले कोई नहीं होते लेकिन आप जीवन भर इन बेतुकी चीजों में स्टैण्डर्ड मेंटेन करने नहीं आए ह। इच्छाओ और शो ऑफ करने का कोई अंत नहीं है अगर आप केवल अपनी बेतुकी इच्छाओ को पूरा करने के लिए जी रहे हो तो कोई फायदा नहीं है अगर दौलत ही सब कुछ होती तो भगवन बुद्धा जैसे लोग अपनी दौलत और महल छोड़ जंगल नहीं जाते। पैसे वाले और अपने लिए जीने वाले एक भी व्यक्ति का नाम इतिहास में लम्बे समय तक नहीं रहा, नहीं रहता।
अगर तुम अपनी इच्छाओ के हिसाब से चलोगे तो तुम जीवन के अंत समय तक कुछ चिल्लहर चीजे इकठ्ठा कर लोगे और अंत समय तक इच्छाएं बची होंगी। ऐसा जीवन मुझे मिले तो मै अभी मरना पसंद करूँग। आप दुनिया में हो तो एक एक पल का इस्तेमाल करना , जीवन से प्यार करना और किसी ऐसे मकसद के लिए जीना सुरु करो जिसे हासिल किये बिना तुम्हारा जीवन व्यर्थ ह। कुछ लोग कहते है मेरे जीवन में ये ये समस्या है। किसी की मौत हो गयी , कोई छोड़कर चला गया।
एक बात बताओ हम सब अकेले आते है अकेले जाते है फिर क्यों 1000 चीजों से दिल लगते हो? आप परमानेंट तो नहीं रहोगे न यहाँ ? इतने कम समय के जीवन में हम छोटी छोटी बातो को बड़ा बनाकर रोते रहते है। अगर जीवन का फैलाव 1 करोड़ गुना है तो आपकी समस्या उसके सामने 0 % भी नहीं है। उस 0 % समस्या के लिए आप इतने बड़े जीवन को बर्बाद कर देते हो। दुनिया में कुछ भी खो जाए लेकिन मस्कुराना और आगे बढ़ना किसी भी कीमत पर मत छोड़ना।
कई लोगो को मैंने कहते हुए सुना है मेरे जीवन का आखरी सपना ये गाडी लेना है। ये फलाना काम करना है, मै सोचता हु इतना कीमती जीवन और इतनी सारी एनर्जी ईश्वर ने हमें दी है की उसका उपयोग करके लोग स्वामी विवेकानंद जितने महान बन सकते है उस एनर्जी का उपयोग लोग कितनी तुच्छ चीजों में बर्बाद कर देते है, चीजे मात्र इकट्ठी कर लेना जीवन का लक्ष्य नहीं है अपनी बुद्धि और अपने जीवन को इस लेवल तक पहुंचाओ की आपके जैसा कोई दूसरा न ह। विचारो और व्यक्तित्व से महान बनो चीजों से नहीं , चीजों से कोई महान बनता तो बुद्ध अपनी दौलत कभी न छोड़ते , अपने जीवन के हर एक पल को जिलों।
अगर इसे न समझ पाओगे तो अंत समय तक बेवजह की इच्छाओं में उलझे रह जाओगे , उठो आगे बढ़ो आपको अपने आपको बेहतर बनाना है।
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