सच्चाई वो रौशनी है , जो आहिस्ता आहिस्ता सभी अंधेरो को निगल लेती है इंसान दुनिया में सच्चाई से भागता है लेकिन सच सच होता है खुद से ईमानदार आपको होना पड़ेगा तभी आपके जीवन में खुशियां रहेंगी वरना सदियाँ गुजार दी लोगो ने यहाँ पर वो खुसी उन्हें नहीं मिली जिनका उन्हें तलाश था। हम और आप इंसान है जिस पर खुद और खुदा को गर्व है लेकिन इंसान तभी तक इंसान कहलाने लायक है जब तक वो अपने से नासमझ मखलूक पर रहम करना उसका दर्द अपने दर्द जैसा महसूस करना उसकी नादानियों गलतियों को माफ़ करना सीख जाए तभी तक वो इंसान है वरना वो इंसान के श्रेणी से बाहर निकल जाता है, पता है इंसान को अल्लाह ने जानवरो से अलग बनाया ताकि हम जानवरो को समझ सके और उनके दुःख दर्द को महसूस कर उन पर रहम कर सके जीवन में सिर्फ खुद के लिए जीना ये तो उन कमजर्फ जानवरो को भी आता है रब ने आपको अक्ल दिया है फीलिंग दी है आपको सभी के दुःख दर्द समझने योग्य बनाया है लेकिन हम है की रहम करने के बजाय उनपर जुल्म करते है उनको सताते है हम कौन से इंसान है सोचो जरा....?
जो नसीब मे है.. वो चलकर आयेगा. जो नही है.. वो आकर भी चला जायेगा. जिंदगी को इतना सीरियस लेने की जरूरत नही है दोस्तो... यहाँ से जिंदा बचकर कोई नही जायेगा.. एक सच है की..... अगर जिंदगी इतनी अच्छी होती तो हम इस दुनिया मे रोते रोते ना आते... लेकिन एक मीठा सच ये भी है अगर ये जिंदगी बुरी होती तो हम जाते जाते लोगो को रुलाकर ना जाते जी ले आज... कल किसने देखा हैं ।
Comments