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मकसदे जिंदगानी

 अच्छा बताओ खुदा ( भगवन ) ने  को क्या जरुरत थी की अरबो खरबो इंसान पैदा करता

और फिर उनके खाने पीने रहने सहने की चीजे मुहैय्या करता ?

लेकिन शायद जरुरत थी उसे , वो चाहता था कोई मख्लूख ( जीव ) ऐसी हो 

जो सजदा करे उसके नाम पर अक्ल हो दलील हो उसके पास 

और सब कुछ दे देने के बाद कहा मै रहमान हु मै रहीम हु 

सब गुनाह माफ़ कर दूंगा लेकिन शिर्क कभी माफ़ नहीं करूँगा 

 

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जिंदगी को इतना सीरियस लेने की जरूरत नही दोश्त ।

जो नसीब मे है..       वो चलकर आयेगा.             जो नही है..  वो आकर भी चला जायेगा.        जिंदगी को इतना        सीरियस लेने की    जरूरत नही है दोस्तो...     यहाँ से जिंदा बचकर       कोई नही जायेगा..          एक सच है की..... अगर जिंदगी इतनी अच्छी होती       तो हम इस दुनिया मे          रोते रोते ना आते... लेकिन एक मीठा सच ये भी है   अगर ये जिंदगी बुरी होती  तो हम जाते जाते लोगो को          रुलाकर ना जाते              जी ले आज...         कल किसने देखा हैं ।

जिंदगी जीने के दो ही तरीके होते होते है ...

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एक कदम सफलता की ओर