नदी के एक किनारे से दूसरे किनारे तक ...
जमीन नहीं होती ...
रास्ता भी नहीं होता ..
बस एक सपना होता है
जो ढल जाता है , पल की सूरत में

किसी रास्ते पर कांटे बिछाने का नुकसान है एक..
खुद के हाथ भी ..
भर जाते जख्मो से

जमीन नहीं होती ...
रास्ता भी नहीं होता ..
बस एक सपना होता है
जो ढल जाता है , पल की सूरत में

किसी रास्ते पर कांटे बिछाने का नुकसान है एक..
खुद के हाथ भी ..
भर जाते जख्मो से

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