अभी कुछ दिन पहले ही की बात है जब हम टहलते हुए चले आये थे कुछ ख्वाब लिए ...खुशियों की आँगन में पर कुछ पता ही न चला कब हम इतनी दूर पहुंच गए की लोग अब हमारी गलतियों पर एक ही ताना देने लगे है ... की अब तुम बड़े हो गए हो ...पता ही न चला यार बचपन भी क्या कमाल के थे न .. न कोई चिंता थी ... न कोई फ़िक्र था बस कुछ कमीने दोस्त थे .. और हर लम्हे का जिक्र था युहीं चलती रहेगी जिंदगी और एक दिन मंजिल को भी पा लेगी फिर एक दिन दुनिया से भी चली जाएगी
हारना मंजूर है मुझे पर खेल तो बड़ा ही खेलूंगा जिंदगी में एक बात तो तय है , की "तय " कुछ भी नहीं !! ------------------------------------ वीरानियाँ मौसम से नहीं ............. एहसास से होती है .....!! ज़िन्दगी की फिलोसोफी‘कभीं है कड़ी धूप तो कभी है छांव, यारों यूहीं चलती हैं, हमारे जिंदगी की नांव…‘ आइए जिंदगी की फिलोसॉफी समझते हुए सुनते है कुछ ऐसे थॉट , विचार जो हमारे जीवन को देंगे नई दिशा। खामोस की तह में छुपा लो सारी उलझने, शोर कभी मुश्किलों को आसान नहीं करता