अभी कुछ दिन पहले ही की बात है
जब हम टहलते हुए चले आये थे
कुछ ख्वाब लिए ...खुशियों की आँगन में
पर कुछ पता ही न चला कब हम इतनी दूर पहुंच गए
की लोग अब हमारी गलतियों पर एक ही ताना देने लगे है ...
की अब तुम बड़े हो गए हो ...पता ही न चला
यार बचपन भी क्या कमाल के थे न ..
न कोई चिंता थी ... न कोई फ़िक्र था
बस कुछ कमीने दोस्त थे .. और हर लम्हे का जिक्र था
युहीं चलती रहेगी जिंदगी
और एक दिन मंजिल को भी पा लेगी
फिर एक दिन दुनिया से भी चली जाएगी
जब हम टहलते हुए चले आये थे
कुछ ख्वाब लिए ...खुशियों की आँगन में
पर कुछ पता ही न चला कब हम इतनी दूर पहुंच गए
की लोग अब हमारी गलतियों पर एक ही ताना देने लगे है ...
की अब तुम बड़े हो गए हो ...पता ही न चला
यार बचपन भी क्या कमाल के थे न ..
न कोई चिंता थी ... न कोई फ़िक्र था
बस कुछ कमीने दोस्त थे .. और हर लम्हे का जिक्र था
युहीं चलती रहेगी जिंदगी
और एक दिन मंजिल को भी पा लेगी
फिर एक दिन दुनिया से भी चली जाएगी
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