चूल्हे की आंच देती है ....
गर्म रोटियां , सुनहरी रौशनी
मगर कोई उड़ आयी चिंगारी उस चूल्हे से
चला देती है पांव ..

हम क्या ज्ञानी , हम क्या पंडित
सब पत्र पढ़े , पोथी बांचे ,
पर जीवन जब पर्चे बाटे
और तख्ती धुंधली दिखती हो
मै दुनिया तेरी आँखों से
जो देख सकूँ ....सब सुंदर है

जिंदगी नाम है कुछ नग्मों का
कुछ महकते हुए नूरानी , सुरीली नग्मे ..
जो जगमग जगमग रातो में
धड़कन बन क्र बज उठते है

वो सपना उस रात जो देखा ...
उसकी ऊँगली थामे थामे .
आज यहाँ तक आ पहुंचा हु
आज शाम को साथ बैठकर
रात ढले तक चाय पिएंगे
Comments