पता है .... ?
ये जो जिंदगी है न एक बहती हुई दरीया सी है , जो कभी रूकती नहीं ! आज यहां तो पलक झपकते कही और दरिया का बहता पानी जो हम अभी देखे ... वो न जाने अब कितनी मिलो दूर निकल गयी होगी , जंगलो ,पहाड़ो , चट्टानों और झरनो से टकराती और गिरती हुई न जाने कहा चली गयी होंगी जिसका हमे खबर नहीं लेकिन ये एक समुदंर में जा मिलेंगी !!

हमारी भी जिंदगी कुछ इसी तरह है , जो बचपन के राह से निकली अपनी गाँव की इन बागानों से जहां हम अक्सर अपने स्कूल से लौटते हुए बस्ते फेंकर दोस्तों के साथ मटरगस्ती किया करते थे , वो मखमली घांसो पर बैठना , वो फूलो को महँकना, चिडियो का चहचाना , दोस्तों के साथ हंसी टटोली करना , सब याद है हमे !!
लेकिन अब हम भी बहोत दूर निकल आये इस दरिया की तरह अब हम नजाने किस भीड़ में खो गए ये हमे भी नहीं पता , अब वो दोस्त भी नजाने कहाँ चले गए जो हमारे हर दुःख में पहाड़ बन क्र खड़े होते थे , तब ऐसा लगता था की यार कोई दुःख है ही नहीं जीवन में क्योकि इतने प्यारे दोस्त जो थे पास में लेकिन अब वो कहाँ खो गए , कब खो गए कुछ पता ही न चला !

कभी - कभी सोचता हु वो हसींन पल जो मेरी जिंदगी में यूँ बीत गया वो न जाने कब वापिस आएगा लेकिन हमसब को मालूम है वो अब नहीं आने .... चलो हम जिंदगी का छोड़ते है दरिया की बात करते है ! क्या आज से कुछ दिन पहले जो दरिया का उछलता हुआ लहर यहां से गुजरा क्या वो उलट आएगा ......... कभी उलटी दरिया नहीं बहती !! जिस तरह उलटी दरिया नहीं बहती उसी तरह हम उलट कर कर उस जीवन में नहीं जा सकते ..तो
यही हमारी जीवन है जो कभी उलट कर वापिस नहीं आती ......... तो हर पल हर लम्हा हमे हमे हंस कर जीना चाहिए , क्योकि जिंदगी बहोत ही अनमोल है यहां से जो वक्त जाता है न वो कभी वापस नहीं आती , ये कहानी नहीं ये हकीकत है !

वक्त के बहते दरिया में ,
कुछ पार लगे कुछ डूब गए ,
बस चलते रहना जीवन है ....
वो सांस हो या फिर आस कोई
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